झाली उपेक्षित अनाथांची आई।
एक सिंधुताई सपकाळ।।१।।
अंगी साधेपण साडी नऊवारी।
कुंकू भाळावरी, लावी मोठी।।२।।
अनाथ मुलांचा करिते सांभाळ।
वेदने चे वळ झाकुनिया।।३।।
सोसुनिया उन, देवसे सावली।
धन्य ती माउली, अनाथांची।।४।।
एक सिंधुताई सपकाळ।।१।।
अंगी साधेपण साडी नऊवारी।
कुंकू भाळावरी, लावी मोठी।।२।।
अनाथ मुलांचा करिते सांभाळ।
वेदने चे वळ झाकुनिया।।३।।
सोसुनिया उन, देवसे सावली।
धन्य ती माउली, अनाथांची।।४।।
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